A Secret Weapon For Shodashi

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क्षीरोदन्वत्सुकन्या करिवरविनुता नित्यपुष्टाक्ष गेहा ।

The anchor on the right hand shows that the person is nervous along with his Convalescence. If produced the Sadhana, will get the self self-assurance and all of the hindrances and hurdles are taken out and many of the ailments are eliminated the symbol that's Bow and arrow in her hand.

सानन्दं ध्यानयोगाद्विसगुणसद्दशी दृश्यते चित्तमध्ये ।

हर्त्री स्वेनैव धाम्ना पुनरपि विलये कालरूपं दधाना

Shiva once the death of Sati had entered into a deep meditation. Without the need of his Power no creation was feasible and this brought about an imbalance in the universe. To bring him from his deep meditation, Sati took birth as Parvati.

ईड्याभिर्नव-विद्रुम-च्छवि-समाभिख्याभिरङ्गी-कृतं

कैलाश पर्वत पर नाना रत्नों से शोभित कल्पवृक्ष के नीचे पुष्पों से शोभित, मुनि, गन्धर्व इत्यादि से सेवित, मणियों से मण्डित के मध्य सुखासन में बैठे जगदगुरु भगवान शिव जो चन्द्रमा के अर्ध भाग को शेखर के रूप में धारण किये, हाथ में त्रिशूल और डमरू लिये वृषभ वाहन, जटाधारी, कण्ठ में वासुकी नाथ को लपेटे हुए, शरीर में विभूति लगाये हुए देव नीलकण्ठ त्रिलोचन गजचर्म पहने हुए, शुद्ध स्फटिक के समान, हजारों सूर्यों के समान, गिरजा के अर्द्धांग भूषण, संसार के कारण विश्वरूपी शिव को अपने पूर्ण भक्ति भाव से साष्टांग प्रणाम करते हुए उनके पुत्र मयूर वाहन कार्तिकेय ने पूछा —

Goddess Shodashi has a 3rd eye over the forehead. She's clad in red costume and richly bejeweled. She sits on the lotus seat laid with a golden throne. She's shown with 4 arms by which she retains 5 arrows of bouquets, a noose, a goad and sugarcane like a bow.

ह्रीङ्काराम्भोधिलक्ष्मीं हिमगिरितनयामीश्वरीमीश्वराणां

॥ अथ श्री त्रिपुरसुन्दरीवेदसारस्तवः ॥

If you are chanting the Mantra for a certain intention, compose down the intention and meditate on it 5 minutes right before beginning Along with the Mantra chanting and 5 minutes after the Mantra chanting.

These gatherings are not simply about particular person spirituality but will also about reinforcing the communal bonds by click here shared activities.

तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।

सर्वभूतमनोरम्यां सर्वभूतेषु संस्थिताम् ।

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